भाव प्रतिकमण
Jain bhaav pratikraman pdf डाउनलोड करने के लिए यह क्लिक करे या फिर नीचे पढ़े download here जय जिनेन्द्र । आज़ के युग में हम को कई बार प्रतिकमन करने का वक्त नहीं मिलता ऐसे में हम फोन पर या इन तीन पेज का प्रिंट निकलकर 24 घंटे में से मात्र 10 मिनट निकल कर भाव प्रतिक्रमण कर सकते है और प्रभु के जैसे भाव प्राप्त करने की प्रार्थना और अपने कर्मो को निर्जरा कर सकते है । भाव प्रतिकमण हमने केवल पोस्ट किया है इसका लेखन हमने नही किया है इसलिए कोई भूल हुई हो तो मिछामी दुक्कडम - यश लोढ़ा, चंद्रपुर , महाराष्ट्र शासनपति श्री महावीर स्वामीजी आपसे भाव प्रतिक्रमण ठाने की आज्ञा लेता/ लेती हूं वर्तमान के अरिहंत श्री सिमंधर स्वामीजी तथा गुरु गुरुणिजी म.सा.आपसे भाव प्रतिक्रमण ठाने की आज्ञा लेती हूं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेमि वंदामि नमसामि सक्कारेमी सम्माणेमी कल्याणं मंगलं देवियं चेइयं पज्जुवासमि मत्थएणं वंदामि ॥ णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं, णमो आयरियाणं, एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पाव-प्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं ॥ भाव प्रतिक्रमण १. अहो परम कृपालु गुर